हरिहरपुरी के दोहे
हरिहरपुरी के दोहे
होनी को टाला नहीं, जा सकता है मीत ।।
होनी पर अफसोस के, लिखना कभी न गीत।।
होनी ईश-विधान है,होनी को स्वीकार।
इस अवश्य परिणाम को,कभी नहीं धिक्कार।।
तेरे वश में कुछ नहीं, सब ईश्वर का खेल।
बच कर जाओगे कहाँ, कर होनी से मेल।।
विपदा से मुँह मोड़ मत,चंद दिनों की बात।
कट जायेगी जल्द ही, घोर अँधेरी रात।।
संकट से करना नहीं, तुम कदापि परहेज ।
यह भी एक प्रकार का, ईश प्रदत्त दहेज।।
सुख में भज लो ईश को,कट जाये दुख शोक।
जो सुख में भजता वही,रमता प्रभु के लोक ।।
Haaya meer
30-Dec-2022 07:14 PM
👌👌
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